शनि ग्रह के कैदी

लेखक:-एम. मुबीन

 

शनि ग्रह के एक अनजान भाग में भटकते हुए उन्हें आठ दिन बीत गए थे

आठ दिनों में एक भी ऐसी बात नही हुई थी जिससे आशा बनती कि वे लोग वापस धरती पर जा सकते हैं

अभी तक तो उस स्थान पर उन्हे कोई मानव या मानव सा कोई प्राणी भी  दिखाई नही दिया था ज़िससे शुक्र ग्रह या शुक्र ग्रह के उस भाग में जीवन होने का कोई संकेत मिलता

अभी तक उन्हें केवल तरह तरह के प्राणी मिले थे अजीब अजीब प्रकार के प्राणी

जिनका शरीर बंदर सा है तो सिर किसी शेर का

एक बिल्ली के आकार और शरीर का प्राणी, परंतु उसका सिर हाथी का था

एक हाथी सा बडा उंचा पूरा भारी भरकम देव काया  जीव दिखाई भी दिया परंतु उसका शरीर तो हाथी का ,था परंतु सिर उंट का था

अजीब अजीब प्रकार के पक्षी, चिडिया

पूरा क्षेत्र हरा भरा था ़ ज़गह जगह पानी की झीलें और झरने थे ज़िनमें बडा ही साफ और मीठा पानी होता था उस पानी से वे अपनी प्यास बुझाते थे या स्नान करते थे

भोजन के लिए अजीब अजीब प्रकार के फल और फूल थे उन्हों ने वे फल कभी नही देखे थे ,परंतु उनका स्वाद कुछ कुछ धरती के फल आम, अमरुद, सेब,इता क़े समान था

पहले दिन जब उनका अंतरिक्ष यान आकर शुक्र ग्रह के उस भाग से टकरा कर नष्ट हो गया था और वे किसी तरह सुरक्षा यान में बैठकर अपनी जान बचाने में सफल हुए थे

 तो शुक्र ग्रह की धरती के उस अनजाने भाग पर उतरते ही सबसे पहले उन्हे प्यास लगी औेर समीप ही उन्हें पीने के लिए पानी मिल गया

 एक दिन बीत जाने के बाद जब भूख सताने लगी तो सामने प्रश्न आ खडा हुआ पेट की आग किस तरह बुझाई जाए ?

कई बच्चाें ने एक साथ शीला मिस से प्रश्न किया था

''मिस बहुत जोर की भूख लगी है हमें कुछ खाने के लिए दीजिये अब हम से भूख सहन नही होती है ''

''कुछ देर ठहरो में कुछ प्रबंध करती हूं'' शीला मिस ने उनसे कहा और सब बच्चाें को एक स्थान पर बिठा कर हुनैन और समीर से कहा कि वे उसके पीछे आए

फिर तीनों झाडियों में पेडाें पर लदे विचित्र फलो में से अपने खाने योगय फल खोजने लगे थे

-''हुनैन ये फल देखो कैसा है''?शीला मिस ने एक फल को चख कर हुनैन की ओर बढा दिया था

''मिस बहुत स्वादिष्ट और मीठा है ''हुनैन ने फल खाते हुए उत्तर दिया

''सम्मो तुम इस फल को चखो '' कहते शीला मिस ने एक दूसरा फल निकाल कर समीर की ओर बढा दिया था

''मिस बहुत अच्छा है'' समीर ने उत्तर दिया

फिर एक दो ओर फलो को चु कर उन्हो ने ढेर सारे फल तोडे थे और वे फल लेजा कर बच्चो को दिये थे बच्चो ने मजे ले ले कर फल खाए थे और अपनी भूख मिटाई थी

उसके बाद उनके सामने कोई समस्या नही थी

चाारों ओर पीने के लिए बहुत सा पानी था और ढेर सारे स्वादिष्ट फल

भूुख लगती तो फल खाते और प्यास लगती तो पानी पीते और रास्ते की खोज में भटकते रहते

 दिन भर वे भटकते रहे अपने चारों ओर आते जाते विचित्र पशु पक्षियों को देखते ज़ो उन्हे आश्चर्य से देखते थे

शायाद उनके से जीव उन्हो ने पहली बार देखे थे ऌसलिए वे बार बार उन्हें रूक रूक कर आश्चर्य से देखते और मुंह से तरह तरह की आवाजे निकालते आगे बढ जाते थे

रात होती तो किसी बडे से पेड के नीचे रुक कर सो जाते थे

शुक्र की रात का क्या कहना

रात का वातावरण इतना मन मोहक होता था कि उन्हें एक क्षण के लिए भी नींद नही आती थी उनका मन चाहता था वे रात भर जाग कर शुक्र ग्रह कि सुन्दर रात देखा करे

कयोंकि  रात को आकाश में कई चाँद निकल आते थे

कोई पूर्व से निकल रहा है तो कोई पश्चिम से, कोई उत्तर से ,तो कोई दक्षिण से उनकी रंग बिरंगी रोशनी शुक्र की धरती पर पडती थी तो अजीब र्दृश्य होता था परंतु शीला मिस कहती

''बच्चों सो जाओ  क़ल हमे दिन भर चलना है नींद पूरी नही हो सकेगी तो तुम चल नही पाआगे''

इसलिए विवश हो कर सो जाना पडता था

रात भर शीला मिस, हुनैन और समीर जाग कर पहरा देते थे पहले शीला मिस जागती हुनैन समीर सोते थे फ़िर शीला मिस सो जाती थी और हुनैन पहरा देता था रात के अन्तिम पहर में पहरा देने का काम समीर करता था

यह 2080 की बात थी

वे सब नवी कक्षा के बच्चे अपनी टीचर शीला मिस के साथ एक छोटे से अंतरिक्ष यान में सौर मंडल की सैर के लिए निकले थे

परंतु शूक्र ग्रह के पास पहुंचतें ही उनका अंतरिक्ष यान किसी धुमकेतू की पूंछ से टकराया अौर उसकी पूंछ की गैसो से गुजरते हुए र्रगड के कारण उनके अंतरिक्ष यान में आग लग गई

उन्हों ने तीन छोटे छोटे सुरक्षा यानाें में बैठकर अपनी जान बचाई

उनका अंतरिक्ष यान शुक्र ग्रह की धरती से टकरा कर नष्ट हो गया था परंतुू उनके छोटे छोटे सुरक्षा यानो के कारण वे किसी तरह अपनी जानें बचा कर शुक्र की धरती पर पहुंच गए थे

और आठ दिनों से शेक्र की धरती के उस अनजान भाग में भटक रहे थे

''शीला मिस धरती से हमारा संपर्क टूट चुका है अब हमारे पास संपर्क का काई साधन भी नही है जिस से धरती पर अपने घर वालों को अपने बारे में बता सकें

'हमारे साथ क्या हुआ है? हम कहां है? हमारे घर वालों को कुछ नही मालुम होगा'

'' यहां कोई भी हमारी सहायता के लिए नही आ सकता ''

''लगता है अब हमे जीवन भर इस शुक्र ग्रह पर किसी कैदी की तरह रहना पडेगा''

 ''हम शुक्र ग्रह के कैदी बन गए है हां हम शुक्र ग्रह के कैदी है ''

बच्चे निराशा भरी बातें करते थे शीला मिस हुनैन और समीर उन्हें सांत्वना देते थे

''हिम्मत मत हारो,निराश मत होओ धीरज से काम लो निराश होने से कोई लाभ नही धीरज से काम लोगे तो यंहा से जिसे तुम शुक्र ग्रह के कैदी कह रहे हो यहां से निकलने का कोई ना कोई रासता निकल आएगा

बच्चों को समझाते थे

परंतु इस प्रकार शुक्र ग्रहा पर भटकते उन्हें 15 दिन हो गए थे बच्चो की निराशा बढती जा रही थी शीला, हुनैन और समीर की आशा भी टूट रही थी

अचानक उन्हें एक जगा एक विचित्र सा यान दिखाई दिया'

'' अरे ये तो कोई अंतरिक्ष यान है ,'' सब ने एक साथ कहा

 सब अंतरिक्ष यान में गएउन्हों ने जाकर देखा तो उन्हें भीतर कोई भी दिखाई नही दिया यान में कोई बिगाड था वह उड नही पा रहा था उसकी स्थिती बताती थी वह कई सो वर्ष पुराना है

''इस यान में कोई बीगाड पैदा हो गया था जिस के कारण ये जहां उतर गया और हम इसके द्वारा धरती पर वापस जा सकजे है ''

''जरुर जा सकते है ''शीला मिस खुशी से बोली ''अब सब कुछ हमारे परिश्रम,कठोर प्रयास, धैर्य पर निर्भर है यदी हम कठोर परिश्रम से इस अंतरिक्ष यान का बिगाड दूर करने में सफल हो गए तो इस शुक्र ग्रह की कैद से आजाद हो कर वापस धरती पर पहुंच जाएगे वरना जीवन भर हमे यहां कैदी बन कर रहना पडेगा

''हम इस यान की खराबी दूर करने का पूरा प्रयत्न करेगे -''

सब बच्चे एक स्वर में बोले और काम में लग गए हर कोई अपनी बुध्दि के अनुसार बिगाड दूर करने का पुरा प्रयत्न कर रहा था

अंत सब का प्रयत्न रंग लाया बिगाड दूर हो गया अंतरिक्ष यान उडने लगा

और वे सब उस यान में बैठ कर शुक्र ग्रह की कैद से आजाद हो कर धरती की ओर चल दिये !

 

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