आत्म विश्वास

लेखक:-एम.मुबीन

 

 

  एक सप्ताह पहले से ही उपग्रह श्रवन -5में बिगाड के संकेत मिलते रहे और अंत आठ दिन बाद उसने पूरी तरह काम करना बंद कर दिया

  जब यह खबर राजू के पिता डॉ रवि को मिली तो उनके मन को घहरा आघात लगा

  श्रवन -5 उन का बनाया हुआ उपग्रह था  जो छ मास   पहले अंतरिक्ष में भेजा गया था और वह बहुत अच्छी तरह काम कर रहा था वह उपग्रह कुछ ऐसे भी काम कर रहा था जो आज तक दुनिया का कोई भी उपग्रह नही कर पाया था

  वह उप ग्रह एक साथ दो हजार टी  वी चैनल प्रसारित कर रहा था दो करोड टेलिफोन लाईन उससे जुडी थीं मोसम की एक एक क्षण की जानकारी दे रहा था उसके द्वारा भारत के किसी भी शहर की छोटी से छोटी सडक को भी फोकस कर के उसके चित्र, वहा घट रही घटनाओं की जानकारी इता ली जा सकती थी उतना सफल और उपयोगी ग्रह बनानें पर चारों ओर से डॉ रवि की जय जय कार हुई थी

  परंतु उस के विफल हो जाने से चारों ओर से डॉ रवि को आलोचना का सामना करना पड रहा था

  ''डॉ रवि श्रवन -5 क़े बंद हो जाने से दो हजार टी  वी चैनल बंद हो गए है दो करोड टेलिफोन लाईन बेजान हैं और मौसम की मामूली सी जानकारी भी हम प्राप्त  नहीं कर पा रहे है क्योंकि श्रवन 75 की सफलता के बाद हम ने हमारे दूसरे सभी उपग्रह से संपर्क तोड लिया था श्रवन-5 के बंद हो जाने से हमारा अरबों खरबों रुपयों का रोजाना नुकसान हो रहा है देश की संचार व्यवस्था ठप हो चुकी है ''

  चारोें ओर से डॉ रवि को ताने दिए जा रहे थे और उन्हें भी पता था श्रवन -5 क़े बिगड जाने से देश कितने बडे सेकट में फंस गया है

  काम चलाने के लिए दूसरे देश के उपग्रह का सहारा लेना पड रहा था ज़ो लज्जा की बात थी   पिता को चिंता में डूबा देख राजू से रहा नही गया वह उन्हें टोक बैठा 

  ''डैडी कुछ तो पता चला होंगा कि श्रवन -5 ने आखिर काम करना क्यों बंद कर दिया है ?''

  '' बस इतना अनुमान लगाया जा सकता है कि श्रवन -5 में एक शार्ट सर्कट हुआ जिस के कारण उसके कई महत्वपूर्ण तार जल गए और उसने काम करना बंद कर दिया''

   ''यदि शार्ट सर्कट से बिगाड आया है तो उसे दुरुस्त भी तो किया जा सकता है '?

  ' नही बेटा, किसी उपग्रह में बिगाड आजाता है तो फिर वह हमेशा के लिए बैकार हो जाता है उसे उसी स्थिति में छोड दिया जाता है या नष्ट कर दिया जाता है क्याकि उसे केवल धरती पर ला कर ही सुधारा जा सकता है जो बहुत कठिन काम है' डॉ रवि विवश्ता से बोले

   'परंतु श्रवन-5 क़ा बिगाड तो एक मामूली बिगाड है क्या अंतरिक्ष जा कर उसे सुधारा नही जा सकता'?

   'अभी तक तो ऐसा नही हुआ है परंतु यदि संभव हो भी तो कौन अंतरिक्ष में अकेला जा कर अकेले उस उप ग्रह पर रहते जान जोखम में डाल कर  उसके बिगाड को सुधारने की कोशिश करेंगा ?'

   'यह काम मेै कर सकता हूं डैडी' ''राजू बोला' श्रवन-5 के बिगड जाने से देश को बहुत बडा नुकसान हुआ है देश संकट में पड गया है देश पर आया संकट दूर करने के लिए में श्रवन -5 पर अकेला जा कर उसके बिगाड को दुरुस्त करने के लिए तैयार हुू चाहे अकेले महीनों  मुझे वहां रहना पडे'

   राजू के आत्म विश्वास को देख कर डॉ रवि की ऑंखों में चमक आ गई

   'सचमुच बेटे हमने आज तक इस दृ्रष्टिकोन से सोचा ही नही सच मुच इस तरह से श्रवन -5 की दुरुस्ती संभव है और मुझे पूरा विश्वास है तुम यह काम बहुत आसानी से कर सकते हो  क्योंकि भौतिक शास्त्र के विद्यार्थी हो मैं तुम्हें श्रवन -5 क़े सभी सर्कट के नकशे दे दूंगा और नीचे से संपर्क बनाए रखूंगा और अवश्यक निर्देश भी देता रहुंगा  मैं कल ही इस संबध में सरकार से बात करता हुू'

डॉ रवि ने सरकार से जब इस बारे में बात की तो उन्हें उत्तर मिला

   ''यदि श्रवन -5 पर जा कर उसके बिगाड को दुरुस्त करने का प्रयत्न किया जाना संभव है तो  तो यह तो बहुत अच्छी बात है यदि इस प्रकार श्रवन -5 काम के योय बन सकता है तो हम आप की हर तरह से सहायता करने तैयार है ''

    राजू को एक अंतरिक्ष यान द्वारा अवश्यक वस्तुओं के साथ श्रवन -5 पर ले जाने और वहा से लाने का प्रबंध कर दिया गया 

    राजू और डॉ रवि अपनी तैयारियों में लग गए परंतु दुनिया वालों को जब यह पता चला कि भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा खराब हुए उप ग्रह पर जा कर उसे दुरुस्त करने का प्रयतन किया जाने वाला है तो सब मजाक उडाने लगे 

    ''भारतीय सरकार और भारतीय वैज्ञानिक पागल हो गए हैं एक ऐसा काम करने जा रहे है जो आज तक संभव नही हो सका  आजतक खराब उपग्रह को बनाने का किसी ने भी प्रयत्न नही किया जो उप ग्रह खराब हो हया उसे नष्ट कर दिया गया परंतु उसे दुरुस्त करने का प्रयत्न  ़ ़ ़ ़ ़हां    ़ ़हां  ़ ़हां '

     दुनिया के वैज्ञानिक मजाक उडाते रहे :

इस काम को करने से सामने आने वाले संभवित खतरों से डराते रहे परंतु राजू और डॉ रवि अपने इरादे पर डटे रहे 

     'डैडी आप समझ लीजिए मैं देश के लिए युध्द भूमि में जा रहा हुू 'राजू बोला 'यदि यह काम करते हुए मेरी मौत हो गई तो मैं समझूंगा मैं देश के लिए शहीद हो गया '

     निश्चित दिन एक विशेष अंतरिक्ष  यान द्वारा राजू सारे जरुरी सामान के साथ श्रवन-5 पर उतर गया   

    यह उप ग्रह दूसरे उप ग्रह से काफी बडा था तीन मंजिला इमारत के आकार का होगा जिस में कई कमरे थे 

    उसने एक कमरे में डेरा जमा लिया और सर्कट से उपग्रह को होने वाले नुकसान का अनुमान लगाने लगा

    एक दिन में उसने सारे नुकसानों की सुचि बना कर अपने डैडी को भेज दी थी उन नुकसानों का  पता लगाने के बाद वही बता सकते थे कि उपग्रह दुरुस्त हो सकता है या नही

   शाम को डॉ रवि का संदेश आया

   'राजू बेटे, तुम ने जो क्षति की जानकारी दी है वह दुरुस्त की जा सकती है और दुरुस्त किए जाने पर उपग्रह अपना काम शुरु कर सकता है तुम काम में जुट जाओ'

   राजू तुरंत काम में लग गया वह अंतरिक्ष में, उस उपग्रह पर अकेला था परंतू उसे कोई भय नही लग रहा था वह रात दिन बिना आराम किए काम करता रहा उसे धरती से उस के डैडी मार्गदर्शन देते रहे

   आठ दस पंदरह बीस दिन बीत गए  राजू अपने काम में लगा रहा

   सारी दुनिया में कुतुहल मचा रहा एक भारतीय लडका एक बिगडे उपग्रह को दुरुस्त करने का असंभव काम कर रहा है

25 वे दिन राजू ने सारे बिगाड दुरुस्त कर डाले परंतु फिर भी उपग्रह ने काम करना आरेंभ नही किया था तो वह निराश हो गया

  परंतु उस ने हिम्मत नही हारी आत्म विशवास के साथ काम करता रहा

  अंत 27 वें दिन उप ग्रह ने काम करना आरंभ कर दिया पूरे भारत में खुशियां मनाई जाने लगी सारी दुनिया आर्श्चय में पड गई

  भारतीय वैज्ञानिकों ने ,एक साधारण बालक ने अपने देश की सेवा की भावना से अपने आत्मविश्वास के बल पर एक ऐसा काम कर दिखाया था जो आज तक संभव नही हो सका था

  28 वें दिन एक अंतरिक्ष यान राजू को लेने श्रवन -5 पहुंचा तो सारी दुनिया में उसके स्वागत की तैयािरयां चल रही थी

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